Surya Grahan 2025 : साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानिए कब से कब तक रहेगा
नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस आर्टिकल में जैसा कि आपको पता है कि आज 19 मार्च 2025 है और आज के दिन ही सूर्य ग्रहण लगने वाला है। तो चले जानते इसके बारे में पूरी जानकारी। आज 29 मार्च को साल का पहला सूर्य लग चुका है, जो आंशिक सूर्यग्रहण होगा।

नमस्ते दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस आर्टिकल में जैसा कि आपको पता है कि आज 19 मार्च 2025 है और आज के दिन ही सूर्य ग्रहण लगने वाला है। तो चले जानते इसके बारे में पूरी जानकारी। आज 29 मार्च को साल का पहला सूर्य लग चुका है, जो आंशिक सूर्यग्रहण होगा। इसका अर्थ है कि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाएगा। विज्ञान के अनुसार, सूर्य ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तब सूर्य ग्रहण लगता है। इस स्थिति में, चंद्रमा कुछ समय के लिए सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से ढंक देता है, जिससे पृथ्वी पर अंधकार छा जाता है। सूर्यग्रहण सदैव चंद्रग्रहण से लगभग दो सप्ताह पहले या बाद में घटित होता है।
सूर्य ग्रहण पर करें यहां उपाय
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥
नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥
बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥
अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥
Surya Grahan 2025 Today Time
आईए जानते हैं Surya Grahan 2025 Today Time। के बारे में पूरी जानकारी। जैसा कि आपको पता है कि आज साल का पहला सूर्य ग्रहण है। इसका समय 2 : 20 से लेकर 6:13 तक रहने वाला है।
3 घंटे 53 मिनट तक सूर्य ग्रहण आज
आपको बता दे की अर्थियन सोसाइटी के निदेशक डॉ. इरफान ह्यूमन ने इस खगोलीय घटना का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बताया, कि यदि आंशिक सूर्य ग्रहण शुरू होने का स्थान प्रदेश की राजधानी लखनऊ माना जाए, तो यह स्थानीय समयानुसार 2ः20ः43 बजे शुरू हो चुका है। शाम 4ः17ः27 बजे अपने चरम पर होगा। तथा 6ः13ः45 बजे समाप्त होगा। मतलब साफ है कि, इस समय प्रदेश सहित पूरे भारत में दिन का समय होगा। इसलिए यह ग्रहण यहां दिखाई नहीं देगा। भारत में यह ग्रहण दिखाई न देने का दूसरा कारण यह है कि, इस बार सूर्यग्रहण का पथ भारत से होकर नहीं गुजर रहा है। यह सूर्य ग्रहण इस बार यूरोप, एशिया में उत्तर, उत्तर/पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका का अधिकांश भाग, दक्षिण अमेरिका में उत्तर, अटलांटिक, आर्कटिक में दिखाई देगा।
कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
आईए जानते हैं कहां-कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण के बारे में पूरी जानकारी। आपको बता दे की दक्षिण अमेरिका, आंशिक उत्तरी अमेरिका, उत्तरी एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी ध्रुव, आर्कटिक महासागर और अटलांटिक महासागर आदि जगहों पर दिखाई देगा।
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